राजस्व विभाग – आज हम इस पोस्ट में आपको उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग परिषद के बारे मे जानकारी देंगे जैसे कि- उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद क्या है, राजस्व परिषद का गठन एवं राजस्व परिषद के कार्य क्या है।
राजस्व परिषद राजस्व विभाग में राजस्व सचिव शाखा के अन्तर्गत आता है।
राजस्व परिषद का गठन-
उत्तर प्रदेश में राजस्व परिषद की स्थापना सन 1831 में इलाहाबाद में हुई थी। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने, इलाहाबाद का नाम परिवर्तित करके प्रयागराज कर दिया है। उत्तर में मालगुजरी से लेकर संबंधित न्यायिक की सबसे बड़ी संख्या राजस्व परिषद ही है। राजस्व परिषद के सदस्यो की नियुक्ति कमिश्नरो से ही की जाती है।
- राजस्व परिषद सभी राजस्व न्यायालयों का शीर्ष न्यायालय है।
- राजस्व परिषद के सदस्यो की नियुक्ति राज्य सरकार करती है।
- राजस्व परिषद के निर्णय उच्च न्यायालय के निर्णय की भांति सारे राजस्व न्यायालयों पर बाध्यकारी है।
उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के कार्य –
और राजस्व परिषद के कार्यों को हम दो भागों में बांट सकते हैं-
1- प्रशासनिक कार्य 2- न्यायिक कार्य
1- प्रशासनिक कार्य –
राजस्व परिषद के प्रशासनिक कार्यों में बंदोबस्त भू अभिलेखों का रखरखाव, मालगुजारी और अन्य देयों की वसूली के साथ साथ भूमि अर्जन आदि कार्य आते हैं।
2- न्यायिक कार्य –
राजस्व परिषद विभाग के न्यायिक कार्यों के अन्तर्गत अपीलीय, निगरानी पुनर्विलोकन आदि कार्य आते हैं।
राजस्व परिषद के तथ्य-
- उत्तर प्रदेश में राजस्व परिषद का मुख्यालय इलाहाबाद में है।
- राजस्व परिषद के अंतर्गत मनडलायुक्त , जिलाधिकारी, एवं उनके अधीन समस्त राजस्व प्राधिकारी आते हैं।
- मंडलायुक्त को सहयोग देने के लिए अपर मंडलायुक्त होते हैं।
- जिला अधिकारी के अन्तर्गत अपर जिलाधिकारी ADM, SDM तहसीलदार, नयाब, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और लेखपाल आते हैं।
- राजस्व परिषद के अधीन सर्वेक्षण और अभिलेख क्रियाएं होती हैं।
- स्वतन्त्रता के बाद 1947-48 में राजस्व परिषद के प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया गया।
- राजस्व विभाग की प्रशासनिक शाखा को लखनऊ ले जाया गया और न्यायिक शाखा को इलाहाबाद में बनाएं रखा गया। यह व्यवस्था अभी भी जारी है।
- वर्तमान में राजस्व परिषद के एक अध्यक्ष और दो प्रशासनिक और 7 न्यायिक सदस्य होते हैं।
- उत्तर प्रदेश के राजस्व परिषद प्रशासनिक सदस्य प्राशसनिक और न्यायिक कार्यों का सम्पादन करते हैं।
- राजस्व परिषद के न्यायिक सदस्य राजस्व वादों का निस्तारण करते हैं।
- इनके यहां उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम के अन्तर्गत राजस्व वादों का निस्तारण किया जाता है।
- उत्तर प्रदेश भू राजस्व से अन्तर्ग्रस्त राजस्व वादों का निस्तारण परिषद के लखनऊ मुख्यालय पर माननीय अध्यक्ष एवं प्रशासनिक सदस्यों द्वारा किया जाता है।
राजस्व परिषद का उद्देश्य –
राजस्व परिषद के उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
1- राजस्व परिषद का उद्देश्यों के अन्तर्गत – किसानों, छात्रों, बेरोजगार, कमजोर वर्गों, उद्यमियों और उद्योग की जरूरतों को पूरा करता है।
2- राजस्व परिषद कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करना, जैसे क्रेडिट, छात्रवृत्ति, सामुदायिक पंजीकरण, जन्म से लेकर कई सेवाओं और लाभों तक पहुंचने के लिए आवश्यक प्रमाणपत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला जारी करना और मृत्यु पंजीकरण, कानूनी उत्तराधिकारी, आय की स्थिति, भूमि अभिलेखों के उत्परिवर्तन, लाइसेंस इत्यादि।
3- इसके अलावा, राजस्व विभाग भारत के निर्वाचन आयोग के अधीक्षण के तहत चुनावों के आचरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राजस्व परिषद के कुछ अन्य कार्य –
1- उत्तर प्रदेश राजस्व विकास परिषद भूमि सुधार के कार्यान्वयन, जरूरतमंद और भूमि हीन योग्य व्यक्तियों को भूमि प्रदान करना। और उत्तर प्रदेश के लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं की सेवाओं की कुशल वितरण प्रदान करना।
2- राजस्व परिषद द्वारा प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए राहत और कार्यान्वयन पुनर्वास उपायों को प्रदान करना और उनकी आर्थिक मदद करना।