उत्तम प्रदेश – उन्नत प्रदेश – आपका हमारी इस ब्लाग वेबसाइट पर स्वागत है। पंचायती राज व्यवस्था (उ० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत आते हैं। और आज हम इस पोस्ट में आपको उत्तर प्रदेश राज्य के पंचायती राज व्यवस्था के बारे में बताएंगे। और साथ ही राज्य के अन्दर कितने प्रकार की पंचायती राज व्यवस्था है उसपर भी चर्चा करेंगे।
पंचायती राज व्यवस्था का संक्षिप्त इतिहास (ग्राम पंचायतें अतीत से वर्तमान तक)
भारत के प्राचीनतम उपलब्ध ग्रन्थ ऋग्वेद में ‘सभा’ एवम् ‘समिति’ के रूप में लोकतांत्रिक स्वायत्तशासी संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। इतिहास के विभिन्न अवसरों पर केन्द्र में राजनैतिक उथल पुथलों के बावजूद सत्ता परिवर्तनो से निष्प्रभावित रहकर भी ग्रामीण स्तर पर यह स्वायत्तशासी इकाइयां पंचायतें आदिकाल से निरन्तर किसी न किसी रूप में सरकार या फिर विशेष लोगों द्वारा कार्यरत रही हैं।
UP Panchayati Raj-
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद में संयुक्त प्रान्त उत्तर प्रदेश में पंचायती राज अधिनियम 1947 के अन्तर्गत प्रदेश में 15 अगस्त 1947 को पंचायती राज व्यवस्था के अनुसार पंचायतों की स्थापना की गई। उत्तर प्रदेश राज्य में पंचायती राज व्यवस्था का वर्तमान स्वरूप संविधान के 73 वें संविधान संशोधन के बाद लागू किया गया। साथ ही संशोधन के अनुक्रम में उत्तर प्रदेश पंचायत विधेयक 1994 लागू किया गया। जिसके तहत संयुक्त प्रान्त पंचायती राज अधिनियम 1947 तथा उत्तर प्रदेश क्षेत्र समिति तथा जिला परिषद अधिनियम 1961 में संशोधन कर राज्य मे तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई जो निम्नलिखित प्रकार की हैं। प्रदेश सरकार संवैधानिक भावना के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार एवं दायित्व सम्पन्न करने के लिए कटिबद्ध है।
पंचायती राज व्यवस्था के प्रकार
- ग्राम पंचायत
- क्षेत्र पंचायत
- जिला परिषद
1 ग्राम पंचायत :-
ग्राम पंचायत तीन स्तरीय पंचायती व्यवस्था में सबसे निचले स्तर की होती है। इस व्यवस्था का प्रमुख अध्यक्ष ग्राम प्रधान होता है, जिसके माध्यम से ग्राम पंचायत के सभी कार्य संचालित किए जाते हैं। गांव के प्रधान का चुनाव ग्राम सभा द्वारा किया जाता है।
- वर्तमान समय मे उत्तर प्रदेश में 51976 ग्राम पंचायत और 8135 न्याय पंचायत हैं।
2 क्षेत्र पंचायत :-
क्षेत्र पंचायत द्वितीय स्तर की पंचायती राज व्यवस्था है। इसका प्रधान ब्लाक प्रमुख होता है, जिसका चुनाव ग्राम सभा द्वारा चुने गए क्षेत्र पंचायत के सदस्यो द्वारा किया जाता है। क्षेत्र पंचायत का सदस्य सचिव खंड विकास अधिकारी BDO होता है। क्षेत्र पंचायत में कुछ 820 पंचायते हैं। प्रत्येक क्षेत्र पंचायत में एक प्रमुख तथा एक उप प्रमुख सदस्य होता है।
- ब्लॉक प्रमुख – संपादित करेंप्रत्यक्ष मतदान द्वारा निर्वाचित ब्लॉक के सदस्यों में बहुमत प्राप्त दल के नेता को ब्लॉक प्रमुख पद के लिए नियुक्त किया जाता है।
3 जिला पंचायत :-
यह तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में सबसे ऊपर शीर्ष होती है। इसके अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव जिला पंचायत के सदस्यो द्वारा किया जाता है। जिला पंचायत का सचिव जिले का मुख्य अधिकारी व पंचायती राज अधिकारी भी होता है। इस समय प्रदेश में कुल 75 जिला पंचायतें हैं।
पंचायती राज व्यवस्था के उद्देश्य
- पंचायतो को उत्तरदायी संस्था के रूप में विकसित किये जाने हेतु प्रोत्साहित करना।
- पंचायतो का सशक्तिकरण एवं पारदर्शी लेखांकन करना।
- पंचायतो मे पारदर्शी वित्तीय बजट का प्रबंधन करना
- कैशलेस/डिजिटल ट्रांज़ैक्शन को बढ़ावा देना पंचायतों की पूर्ण पारदर्शी बनाना।
- गतिविधि निष्पादन प्रक्रिया।
उत्तर प्रदेश की पंचायती राज निदेशालय का पता
प्लाट सं०-6, लोहिया भवन, सेक्टर-ई
अलीगंज, लखनऊ 226024
दूरभाष: (522) 232-2924
फैक्स: (522) 232-2923
ई० मेल: panchraj@nic.in
अन्य : up.panchayatiraj@gmail.com
आपको पंचायती राज व्यवस्था से जुड़ी यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं धन्यवाद।