हमारे इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका स्वागत है। आज यह इस पोस्ट में आपको उत्तर प्रदेश राज्य के वानिकी परियोजना के बारे में बताएंगे और उत्तर प्रदेश में वानिकी परियोजना के प्रारम्भ और महत्व के बारे में भी बताएंगे।
वानिकी परियोजना – (Vaniki pariyojna )
विश्व बैंक की सहायता से राज्य में वानिकी परियोजना 1 फरवरी 1998 से शुरू की गई थी। उत्तर प्रदेश में वानिकी परियोजना की कुल लागत 271 करोड़ रुपए थी तथा परियोजना के पूर्ण होने की तिथि जुलाई 2002 निर्धारित की गई थी, जिसे विश्व बैंक द्वारा जुलाई 2003 कर दिया गया था। प्रदेश के पुनर्गठन के पश्चात उत्तर प्रदेश वानिकी परियोजना की लागत 159 करोड़ रुपए निर्धारित की गई जिसमें है प्रति पूर्ण अंश 142.10 करोड़ रुपए थी।
वानिकी परियोजना ( वन निगम )
राज्य के वनों को अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी संरक्षण, परीक्षण वनोपज के वैज्ञानिक विदोहन के लिए स्थानीय प्राधिकरण के रूप में उत्तर प्रदेश वन निगम अधिनियम 1974 के अन्तर्गत 25 नवम्बर 1974 के वन निगम की स्थापना हुई। उत्तर प्रदेश में वन निगम का गठन राज्य सरकार के स्थानीय निकाय के रूप में किया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य में वन निगम द्वारा किए जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं।
- आरक्षित वनों से आवंटित वृक्षों का पालन व उनकी देख रेख के साथ निस्तारण।
- समाजिक वनों के क्षेत्रों में आवंटित वृक्षों का पालन व उनका निस्तारण करना।
- सामान्य तथा उच्च तकनीक पर आधारित पौधशालाओं की स्थापना।
- तेंदू पत्ते के संग्रहण एवं निस्तारण का कार्य।
- राज्य में जड़ी-बूटी संग्रहण भंडारण एवं विपणन का कार्य।
वानिकी परियोजना (वनों से लाभ)
वनों से दो प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आइए जानते हैं।
वनों से प्रत्यक्ष लाभ :-
- राज्य द्वारा वनों को ठेके पर दिया जाता है, जिससे प्रदेश सरकार को आय प्राप्ति होती है।
- वनों से व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होता है। जोरगार जैसे – वनों से वृक्ष काटना, लठ्ठे चीरना आदि।
- वनों से लकड़ी प्राप्ति के अतिरिक्त अनेकों गौण उपजे भी प्राप्त होती हैं, जिनपर राज्य के अनेक उधोग धंधे निर्भर होते हैं।
- चारागाह की कमी भी पूरी होती है, और पशुओं को चराने की सुविधा भी प्राप्ति होती है।
वनों से अप्रत्यक्ष लाभ :-
- वन बाढ़ों की रोकथाम में सहायक होते हैं वनों की संघनता होने के कारण बाढ़ का जल शिथिल हो जाता है। और वृक्षों की जड़ें भूमि को बांधे रखती हैं।
- वन भूमि की उर्वरता बढ़ाने में सहायक होते हैं। वनों से गिरी हुई पत्तियां सड़ गल कर खाद का काम करती हैं।
उत्तर प्रदेश में वानिकी
किसी भी क्षेत्र में वन न केवल पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में आवश्यक हैं, बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने तथा बाढ़ व सूखे के प्रभाव को कम करने में भी महत्वपूर्ण योगदान और मदद करते हैं।
उत्तर प्रदेश में वानिकी परियोजना को प्रोत्साहन देने एवं वृक्षों की सुरक्षा को दृष्टिगत हुए 1860 ई. में ब्रिटिश सरकार ने वन विभाग की स्थापना की थी। क्योंकि वनों से सरकार को काफी आय होती थी। स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरांत केन्द्र सरकार ने 1952 में वन नीति की घोषणा की थी। जिसके अन्तर्गत वनों के संरक्षण पर उससे मिलने वाले व्ययो पर अधिक ध्यान दिया गया। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार उत्तर प्रदेश का 33.4% क्षेत्र वनों पर आच्छादित होना चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों के अन्तर्गत और वनों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का कार्य प्रारंभ किया है।