हमारे इस ब्लाग पोस्ट पर आपका स्वागत है – आज हम इस पोस्ट में आपको उत्तर प्रदेश राज्य की प्रमुख जनजातियां और उनकी विशेषताएं और उनसे जुड़े अनेकों तथ्यों की चर्चा करेंगे।
राज्य की प्रमुख जनजातियां –
वर्ष 2003 के पूर्व उत्तर प्रदेश में केवल दो जनजातियां — थारू जनजाति एवं बुक्सा जनजाति को ही सूचीबद्ध किया था। परन्तु वर्ष 2003 में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की 10 और जनजाति को राज्य सरकार की अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया गया। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश राज्य में 12 अनुसूचित जनजातियां हो गई हैं। आज हम इस पोस्ट में राज्य की प्रमुख जनजातियां थारू, बुक्सा, महीगीर, खरबार,के बारे में बताएंगे।
उत्तर प्रदेश की थारू जनजाति –
यह जनजाति मुख्यत राज्य के गोरखपुर और तराई क्षेत्र तथा कुशीनगर, महाराजगंज, लखीमपुर-खीरी जिले में पाई जाती हैं। ये कद के छोटे, पीत वर्ण, चौड़ी मुखाकृति तथा समतल नासिका वाले होते हैं। यह जनजाति को संयुक्त परिवार बनाकर रहना पसन्द होता है।
- इन जनजातियों में अभी तक बदला विवाह अर्थात बहनों के आदान-प्रदान की प्रथा थी, जो वर्तमान में बहुत हद तक खत्म हो चुकी है।
- थारू जनजाति में अभी तक विधवा विवाह की भी प्रथा है।
- थारू जनजाति के लड़िकयों और लड़कों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए लखीमपुर-खीरी जिले में एक महाविद्यालय का निर्माण भी किया गया है।
- ये भुत प्रेत जादू टोना इत्यादि में विश्वास भी रखते हैं।
- थारुओ की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है, ये मुख्यता धान की खेती करते हैं।
- पशुपालन, लकड़ी कटाई , वनों से जड़ी-बूटी एकत्रित करना आदि इनके प्रमुख व्यवसाय है।
- इनकी भाषा हिन्दी व नेपाली से प्रभावित है।
- इन्हें आभूषण पहनना पसंद होता है। पुरूष लगोटी की तरह रोटी लपेटते हैं, स्त्रियां रंगीन लहंगा, ओढ़नी, चोली और बूटेदार कुर्ता पहनना पसंद करती हैं।
- थारुओं का मुख्य रूप से भोजन चावल है, और इन्हें जंतुओं का मांस खाना भी पसंद होता है।
- थारू लोगों का मांस और मदिरा खाने पीने में खूब प्रयोग करते हैं।
बुक्सा जनजाति के बारे में
उत्तर प्रदेश राज्य की दूसरी जनजाति बुक्सा बिजनौर जिले की छोटी-छोटी बस्तियों में निवास करती हैं। इन्हें बुक्सा जनजाति के अलावा भुक्सा भी बोला जाता है। ये कद में छोटे और मध्यम आकार के होते हैं। इस जनजाति को विलियम क्रुक राजपूतों का वंशज मानते हैं।
- इनका मुख्य भोजन मछली चावल है। और इनका परिवार पितृसत्तात्मक होता है।
- इस जनजाति के लोग में विवाह एक अनुबंध मात्र है, विवाह के बंधन में महिलाएं पुरुष किसी समय विवाह के बंधन से मुक्त हो सकतें हैं।
- अनुलोम-विलोम विवाह का प्रचलन है, तथा अंतर्जातीय विवाह भी होते हैं। विवाह की क्रय पद्धति आज भी प्रचलित है।
- यह जनजाति हिन्दू धर्म को मानती हैं, और शक्ति के प्रतीक के रूप में पीपल वृक्ष की पूजा करते हैं।
- इनकी भाषा हिन्दी व कुमाऊनी का सम्मिश्रण है।
- राज्य की बुक्सा जनजाति धोती कुर्ता, सदरी एवं सिर प्र पगड़ी भी पहनते हैं। वहीं स्त्रियां रंगीन लहंगा चोली और चुनरी पहनने के साथ अब साड़ी पहनना भी पसन्द करती हैं।
- ये राजस्थानी मेवाड़ी राजपूतों के समान सिर पर ऊंचा जूड़ा बांधती हैं, और माथे पर सिन्दूर और कांच की चूड़ियां अवश्य पहनती हैं।
माहीगीर जनजाति उत्तर प्रदेश –
यह जनजाति राज्य के बिजनौर में तथा सहारनपुर, जलालाबाद, किरतपुर, मनेरा एवं धरनार में पाए जाते हैं।
- इस जनजाति का उल्लेख महाभारत में भी है। और ये मछुआरों हैं, तथा उन्हीं से अपना सम्बन्ध बनाएं रखते हैं।
- इनके समाज में पंचायतों का प्रचलन है, और इस जनजाति ने इस्लाम धर्म अपना लिया है।
- शिक्षा का प्रसार काफी कम हुआ है इस जनजाति में, जिससे ये खडी हुई बोली से मिलती जुलती एक बोली बोलते हैं।
- इस जनजाति की एक खास विशेषता है, कि इनमें समाजिक भेदभाव और ऊंच नीच कम रहता है।
- जंगली जानवरों का शिकार भोजन पूर्ति ज्ञके लिए करते हैं, और नीच जाति के लोगों का छुआ हुआ भोजन नहीं ग्रहण करते हैं।
उत्तर प्रदेश की खरवार जनजाति-
यह जनजाति उत्तर राज्य के मिर्जापुर तथा सोनभद्र जिले में निवास करती है। वर्तमान समय में इनका स्थान झारखंड का पालमू तथा अठारह हजारी है।
- ये जनजाति खाने में सामान्यतः गेहूं और चावल का प्रयोग करते हैं।
- खरवार जनजाति हिन्दू धर्म तथा रीति-रिवाजों को भी मानती है।
- खरवार जनजाति के लोग साधारणतः धोती और सिर पर पगड़ी पहनते हैं। वही महिलाएं साड़ी पहनती हैं।
- इन्हें आभूषण में बाजूबंद, नथिनी, कड़ा, गुरिया, मूंगे की माला आदि पहनती हैं।
Fact –
थारू– उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी जनसंख्या की जनजाति है।
वनरावत – राज्य की सबसे कम जनसंख्या वाली जाति है।
सोनभद्र – सबसे अनुसूचित जनजाति वाला जिला है।