Fundamental rights- भारत देश के संविधान बनने के साथ, भारत देश के सभी नागरिकों को कुल 6 अधिकार दिए गए हैं, और आज हम इस पोस्ट में इन सभी 6 मौलिक अधिकारों के बारे में बताएंगे और उनको परिभाषित भी करेंगे।
मूल अधिकार-
भारत देश के सभी नागरिकों को यह पता होना चाहिए कि उन्हें संविधान द्वारा 6 मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जिनका वर्णन आज हम इस पोस्ट में करेंगे, अगर आपको 6 मौलिक अधिकारों के बारे में नहीं पता है, तो इस पोस्ट के जरूर पढ़े।
मूल अधिकार कितने हैं?
- समानता का अधिकार।
- स्वतन्त्रता का अधिकार।
- शोषण के विरुद्ध अधिकार।
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।
- सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार।
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
मूल (मौलिक) अधिकारों की परिभाषा-
1- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
समानता का अधिकार में नागरिकों के विधि के समक्ष समानता एवं समान सुरक्षा (अनुच्छेद 14)। धर्म जाति लिंग और जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)। सार्वजनिक रोजगार के मामलें में समान अवसर (अनुच्छेद 16)। अश्पृश्यता का अन्त (अनुच्छेद 17) सैन्य एवं शैक्षिक पदों के अतिरिक्त उपाधियों पर रोक (अनुच्छेद 18)।
2- स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
स्वतन्त्रता के अधिकार के अंतर्गत भारत के सभी नागरिकों को , छः अधिकारों की सुरक्षा, विचार एवं अभिव्यक्ति, संगठन, समिति, आन्दोलन, निवास, उधम (अनुच्छेद 19)। अपराधिक आरोप के मामले में सुरक्षा (अनुच्छेद 20) प्राण एवं दैहिक के साथ प्राथमिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21, 21 क)। किसी भी मामले में हिरासत एवं गिरफ्तारी से सुरक्षा (अनुच्छेद 22)।
3- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
शोषण के विरुद्ध अधिकार की परिभाषा के अनुसार , बाल श्रम का प्रतिषेध (अनुच्छेद 23)। बच्चों को कारखाने आदि में नियोजन का प्रतिषेध (अनुच्छेद 24)।
4- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
अंत करण के विचारों एवं धर्म के प्रचार एवं धार्मिक मामलों में प्रबन्धन की स्वतन्त्रता (अनुच्छेद 25-26)। किसी भी धर्म की उन्नति के लिए करो की भुगतान की स्वतन्त्रता (अनुच्छेद 27)। कुछ धार्मिक संस्थाओं में पूजा या धार्मिक निर्देशों में उपस्थित का अधिकार (अनुच्छेद 28)।
5- सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार के तहत नागरिकों को, भाषा लिपि और अल्पसंख्यकों की संस्कृति की सुरक्षा, एवं अल्पसंख्यकों को धार्मिक संस्थाओं और प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार (अनुच्छेद 29-30)।
6- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
भारत देश के सभी नागरिकों को मूल अधिकारों की शक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय जाने का अधिकार, इन अधिकारों में कई याचिकाएं भी शामिल हैं। बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रत्यादेश, उत्प्रेरषण, अधिकार पृच्छा ( अनुच्छेद 32)।
सम्पत्ति के अधिकार की मूल स्थिति –
संविधान के भाग 13 में उल्लेखित 7 मूल अधिकारों में से सम्मापति का अधिकार भी एक है, 44वें संबोधन अधिनियम 1978 द्वारा मूल अधिकारों में से सम्मापति के अधिकार को समाप्त कर इसे संवैधानिक उपचारों के आधिकार के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया है, जो अब एक मूल अधिकार नहीं है, और भारत के नागरिको को सिर्फ 6, मूल अधिकार ही प्राप्त हैं।
Note-
सभी भारतीय नागरिकों को इन 6 इन मूल अधिकारों एवं उनके द्वारा प्रदान स्वतन्त्रता के बारे में जरूर जानकारी प्राप्त होनी चाहिए, मूल अधिकारों से संबंधित प्रश्न, परिक्षाओं में भी पूछें जातें हैं, इसलिए आप इनका अध्धयन जरूर करें।