भारत देश के संघ की कार्यपालिका पर राष्ट्रपति पदासीन होता है। भारत देश के संविधान में अनुच्छेद 53 में कहा गया है, कि संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती हैं।
राष्ट्रपति का निर्वाचन-
भारत देश के राष्ट्रपति का निर्वाचन अनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से एक निर्वाचकगण द्वारा होगा।
राष्ट्रपति के निर्वाचकगण कौन होता है ?
1- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य।
2- राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
3- दिल्ली और पांडिचेरी संघ राज्यक्षेत्र की विधानसभाओं के सभी निर्वाचित सदस्य।
राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं-
1- भारत देश का नागरिक हो।
2- नागरिक 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3- लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होने योग्य हो।
4- भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर नहीं हो।
राष्ट्रपति निर्वाचन की प्रक्रिया-
राष्ट्रपति का निर्वाचन अनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा, मतदान की प्रक्रिया गुप्त होगी। राष्ट्रपति पद के लिए जो प्रत्याशी 50% से अधिक मत प्राप्त करेगा, वह विजयी घोषित किया जाएगा। जब कोई प्रत्याशी कोटा प्राप्त कर लेता है , तो उसके अतिरिक्त मत अन्य प्रत्याशियों को अंतरित हो जातें हैं। तो इस प्रक्रिया के के कारण ही इसे एकल संक्रमणीय मत कहते हैं।
राष्ट्रपति द्वारा शपथ ग्रहण-
भारत देश का राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से शपथ लेता है, और शपथ में राष्ट्रपति वचन देता है।
1- वह अपने पद के प्रति सदैव वफादार रहेगा।
2- भारत देश के संविधान का पालन करने के साथ-साथ सुरक्षा व रक्षा भी करेगा।
3- स्वयं को भारत के लोगों की सेवा व कल्याण करने में खुद को समर्पित करेगा।
भारत देश के राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायधीश द्वारा राष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाई जाती है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
भारत देश के राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है वह अपने कार्यकाल की अवधि में किसी भी समय अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को दे सकता है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति के कार्यकाल पूरा होने के पूर्व महाभियोग चलाकर भी राष्ट्रपति को उसके बाद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति के पद पर जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले, राष्ट्रपति अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के उपरांत भी पद पर बना रह सकता है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग-
राष्ट्रपति पर संविधान का उल्लघंन करने पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। हालांकि संविधान में संविधान का उल्लघंन वाक्य को परिभाषित नहीं किया गया है। महाभियोग पर संसद के किसी भी सदन के एक चौथाई सदस्यों हस्ताक्षर होना चाहिए। महाभियोग दो तिहाई बहुमत से पारित होने के पश्चात सदन भेजा जाता है, जो इन आरोपो की जांच करता है, फिर महाभियोग प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करने के बाद राष्ट्रपति को उसके पद से हटा दिया जाता है।
भारत देश के राष्ट्रपति की शक्तियां एवं कर्तव्य-
भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियां एवं कर्तव्य निम्नलिखित हैं-
- कार्यकारी शक्तियां।
- विधाई शक्तियां।
- वित्तीय शक्तियां।
- न्यायिक शक्तियां।
- कूटनीतिक शक्तियां।
- सैन्य शक्तियां।
- आपातकालीन शक्तियां।
भारत देश के राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति-
संविधान में सरकार का स्वरूप संसदीय है, मुख्य शक्तियां प्रधानमंत्री के के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में निहित होती हैं। भारत देश का राष्ट्रपति अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की सहायता व सलाह से करता है।
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