औद्योगिक क्रान्ति – दुनिया में पुनर्जागरण का युग नवीन भौगोलिक खोज यात्राओं का युग था। इस युग में मध्यम वर्ग एवं शिल्पियों को परस्पर जुड़ने का स्वर्ण अवसर प्रदान किया। नई समाजिक व्यवस्था ने जन विन्यास और जन सम्पर्क को बढ़ावा देकर वस्तुओं की मांग को बढ़ा दिया, अतः अब उत्पादन का कार्य हाथ से होने की बजाय कारखाना व्यवस्था में परिवर्तित हो गया। कारखानों के मालिक अधिक पूंजी और श्रम लगाकर अधिक लाभ कमाने के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन करने लगे।
औद्योगिक क्रान्ति क्या है ?
अठारहवीं शताब्दी में हाथ से उत्पादन करने के स्थान पर मशीनों द्वारा उत्पादन होने का प्रचलन तथा कारखाना लागू होने की प्रक्रिया को औद्योगिक क्रान्ति कहा जाता है। उधोग धन्धों के क्षेत्र में विज्ञान प्रोद्योगिकी एवं मशीनों का प्रयोग करके बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की पद्धति को औद्योगिक क्रान्ति कहा जाता है। इंग्लैंड में लौह अयस्क और कोयले की खोज करके नई नई मशीनों का अविष्कार किया गया, और वह विश्व में औद्योगिक क्रान्ति का जनक बन गया। इंग्लैंड से औद्योगिक क्रान्ति विश्व के अन्य देशों तक फैल गई। इंग्लैंड ने औद्योगिक क्षेत्र की नई नई मशीनों का उत्पादन करके अपनी व्यवस्था में क्रान्ति कारी परिर्वतन ला दिए। अर्थव्यवस्था उधोग और वाणिज्य के क्षेत्र में हुए यही क्रान्तिकारी परिवर्तन औद्योगिक क्रान्ति कहलाए।
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औद्योगिक क्रान्ति को जन्म देने वाले कारण –
औद्योगिक क्रान्ति अनायास ही नहीं प्रकट हो गई, उसे जन्म देने के लिए अनेक कारण उत्तरदाई हैं।
1 कोयला और लोहे की खोज –
इंग्लैंड मे कोयले और लोहा की खोज करके नई नई मशीनों का निर्माण प्रारंभ हो गया, इन्हीं मशीनों के उत्पादन की घरेलू पद्धति को कारखाना पद्धति में बदल दिया गया।
2 नवीन अविष्कार –
विज्ञान और शिक्षा की प्रगति के साथ साथ नई नई मशीनों के अविष्कारो को औद्योगिक क्रान्ति को सफल बनाने में विशेष सहयोग प्रदान किया।
3 चालक शक्ति –
उस काल में कोयला चालक शक्ति का आधार बना हुआ था। भाप की शक्ति से चलने वाले इंजन के अविष्कार ने कारखानों की स्थापना का स्वर्णिम युग का प्रारंभ कर औद्योगिक क्रान्ति का निमंत्रण कर डाला।
4 पर्याप्त पूंजी –
इंग्लैंड में उद्योगपतियों के पास उस समय पर्याप्त पूंजी थी। अतः उन्होंने अधिक धन कमाने के आकर्षण में कारखाना व्यवस्था को प्रोत्साहित करके औद्योगिक क्रान्ति को जन्म दे डाला।
5 कच्चे माल की उपलब्धता –
यूरोप के शक्तिशाली देशों ने निर्बल राष्ट्रों में अपने उपनिवेशों को स्थापित किए। कच्चे माल की उपलब्धता ने धड़ाधड़ कारखाने खोलने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया।
6 श्रमिकों की सुलभता –
यूरोपीय शक्तियां एशिया तथा अफ्रीका के पिछड़े गुलाम खरीदकर लाती थी, जो कि उनमें कारखानों में श्रमिकों के रुप में कार्य कर उत्पादन में सहयोग देते थे।
7- परिवहन के साधनों का विकास –
स्थल तथा जल परिवहन के विकास ने कच्चे माल लाने तथा तैयार माल खपत के केन्द्रों तक पहुंचाने में बहुत सहयोग दिया। द्रुतगामी परिवहन के संसाधनों ने औद्योगिक क्रान्ति के प्रादुर्भाव ने बड़ा योगदान दिया।
9 उपनिवेशवाद –
इंग्लैंड के समान यूरोपीय शक्तियों ने उपनिवेशों की स्थापना कर वहां अपना तैयार माल बेचकर अधिक से अधिक धन कमाने के लिए औद्योगिक क्रान्ति को जन्म दिया।
औद्योगिक क्रान्ति – इस प्रकार उपनिवेशवाद पूंजीवाद और वाणिकवाद ने संसार को जो नई अर्थव्यवस्था प्रदान की उसे ही औधोगिक क्रान्ति कहा जाता है।
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